सिजेरियन या सी-सेक्शन जन्म देने के लिए एमर्जन्सि के रूप में जाना जाता है। डॉक्टर तब ही सिजेरियन का विकल्प देते हैं जब माँ और बच्चे को नॉर्मल डिलिवरी से खतरा हो। नीचे दी गई इन परिस्थिति में सिजेरियन किया जाता है:
- बाधित प्रसव
- जुड़वा प्रेगनेंसी
- माँ में हाई ब्लड प्रैशर और प्री-क्लेम्सिया होना
- उल्टा जन्म
- गर्भनाल या श्रोणि के आक्रम में दिक्कत होना
- पहले गर्भ से जुड़ी कोई समस्या
WHO के अनुसार सी-सेक्शन मरीज की सेहत को देखकर किए ही जाने चाहिए और ये बच्चे और माँ की ज़िंदगी बचा सकते हैं। कई केस में डिलिवरी के समय इसके बारे में फैसला लिया जाता है, हालांकि अगर पहले ही पता लग जाता है की इसकी ज़रूरत पड़ेगी तो ये उस समय प्लेन किया जाता है।
पिछले कुछ समय कई महिलाओं ने नैचुरल तरीके से जन्म देने की जगह सिजेरियन चुना है। इसके कुछ कारण नीचे हैं:
- इसकी पहले से प्लेनिंग करने से आपको पता होता है की बच्चा किस समय पैदा होगा। पहले से ही अपने बच्चे की जन्मदिन सोचके रखने से एक अलग ही खुशी होती है।
- सिजेरियन करवाने के मतलब है की आपको किसी भी मरोड़े या दर्द का सामना नहीं करा पड़ेगा जो आपको नैचुरल तरीके में झेलना पड़ता है। इसके बाद आपको काफी दर्द हो सकता है, लेकिन इसे दर्द की दवाई से सहा जा सकता है।
हालांकि कुछ दर्द सिजेरियन के बाद भी होने ही होते हैं, लेकिन निम्न की संभावना कम हो जाती है:
- पेट में दर्द, घाव से दर्द और टांकों का दर्द
- जन्म के बाद काफी खून बहना
- सैक्स से जुड़ा रोग जो कुछ महिलाएं योनी से जन्म देने के बाद महसूस करती हैं
- असंयमिता होने के चान्स कम होते हैं
कई स्टडी में सिजेरियन के अपने फायदे और नुकसान हैं, लेकिन कोई भी आखरी निर्णय आपको अपने डॉक्टर के साथ सलाह करने के बाद लेना चाहिए। कई ऐसे ऑर्गनाइज़ेशन हैं जो हॉस्पिटल को फालतू के सिजेरियन ना करने की अपील करते हैं। इस तरीके से भी अपने कई नुकसान हैं, और ऐसी कोई स्टडी नहीं है की जो यह बोल सके की सिजेरियन, योनी से दिए जाने वाले जन्म से ज़्यादा सेफ है। और इस बात के काफी सबूत हैं की अगर आप एक से ज़्यादा बच्चे पैदा करते हैं तो नैचुरल तरीके से जन्म देना ही सही है। वहीं कुछ केस में सिजेरियन करवाना बेहतर नहीं माना जाता है।